कभी जलस्रोत से संपन्न थी दिल्ली
कभी जलस्रोत से संपन्न थी दिल्ली
आज स्वच्छ जल को तरस रही दिल्ली में ,कभी नदी, तालाब ,बावली ,बडे बडे हौज, और लोगों की प्यास बुझाने के लिए स्वच्छ कुएं थे । देश की आजादी के समय दिल्ली में करीब 500 सौ के करीब जल निकाय हुआ करते थे, धीरे धीरे जलाशय आधुनिकता की भंवर में खो से गए,और उन पर घर बन गए। नजफगढ़ झील जो सौन्द्रर्य की मिसाल होती थी आधुनिक विकास में लुप्त हो गयी। दिल्ली के मशहूर हौजखास,हौज ए अलाई, हौज ए शम्सी, हौज रानी आदि पहले बड़े-बड़े जलाशय हुआ करते थे। नारायणा और मॉडल टाउन में बड़ी झीलें ,कुएं और बावलिया थी ।हम कह सकते हैं दिल्ली खूब लबालब जल से भरा था। आज प्रदूषण ने दिल्ली के जमीनी पानी को इतना प्रदूषित कर दिया है ,कि 30 फीट गहरी जमीन तक दिल्ली का पानी प्रदूषित हो कर बीमारी का कारण बन सकता है । सन 1960 तक दिल्ली में लोग कुए का ठंडा पानी पीना ही पसंद करते थे ,और सप्लाई का पानी और कामों के लिए लेते थे । अलग-अलग कुएं का पानी ,भिश्ती मसक में भरकर लाते थे और लोग उनका इंतजार करते थे ।इसके अलावा लोग हैंडपंप का पानी भी पिया करते थे पुरानी दिल्ली में कटरा शहंशाही इलाके के पास गुरुद्वारा शीशगंज के आगे टाउन हाल में एक कुआं होताथा , जिसका पानी इतना ठंडा होता था ,कि भीषण गर्मी में भी कोई उस पानी से स्नान कर ले तो कुछ देर कपकंपी आ जाए ,बाद में इस कुएं में दूषित पानी की लाइन लीक हो गई तो इसके बाद लोगों के द्वारा इसके पानी को इस्तेमाल करना बंद कर दिया गया ,धीरे-धीरे उसका अस्तित्व ही मिट गया । पहले कि दिल्ली में जलाशय से ही लोग जल आपूर्ति करते थे ,आज का साकेत इलाका पहले सात पुल से युक्त जलाशय था ,इसके साथ लगे फाटकों से झील का पानी भेजा जाता था । विज्ञानी सिद्धांत पर बने इस जलाशय पर दो मंजिले थी एक मंजिल तो पानी के संरक्षण के लिए,और दूसरी मंजिल के द्वार तब खोले जाते थे जब पानी खतरे के निशान से ऊपर हो जाता था ,यह बांध 64 . 9 मीटर ऊंचा हुआ करता था। दिल्ली में आधुनिक युग के पॉश इलाके नदी और जलाशयों के नाम पर ही विख्यात है । हौज खास, दक्षिणी दिल्ली का पॉश इलाका है, झील और जलाशयों की बदौलत तो इसका नाम हौजखास पड़ा था। हौज यानि, कि पानी का टैंक। यह 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में था ,600 मीटर चौड़े और 700 मीटर लंबे इस हौज की गहराई 4 मीटर होती थी ,इससे सिरी के किले में आपूर्ति की जाती थी । फिरोजशाह तुगलक ने शाही स्नान के लिए इसका पुनर्निर्माण भी करवाया ,आज भी इस स्थान की खूबसूरती इसके अच्छे दिनों की कहानी बयां करती है। यहां पर किला और डियर पार्क भी हैं, महरौली की हौज ए शमशी को इल्तुतमिश ने 1230 में बनवाया था ,यह तालाब तकरीबन 5 एकड़ भूमि में फैला था। इसमें हौज में बरसात का पानी एकत्र होता था ,और यह इतना सुंदर था ,कि 1333 ईस्वी में भारत आए अरबिया की इब्नबतूता ने भी इसकी प्रशंसा की है । हौज ई शमसी आज भी दिल्ली के महरौली इलाके में मौजूद है यह बात अलग है कि 5 एकड़ में फैले तालाब के बिहंगम दृश्य को देखने के लिए ,आंखें बड़ी कर दूर तक ले जानी नहीं पड़ती, अब तो सरसरी निगाह पर ही तालाब खत्म हो जाता है ,अब तो इसकी सिकुड़न इतनी हो गई है इसके भीतर बना किला अब इसके किनारे आ गया है । दिल्ली की लंबी लंबी सीढ़ियों वाली बावलिया स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है ।आजादी के समय की 33 मुख्य बाबलियों में से अब 16 बावलियों के ही अवशेष बचे हैं इनमें से मात्र 14 बावरियों में कुछ पानी बचा है।
Mohammed urooj khan
22-Apr-2024 11:51 AM
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